इस मंदिर का दीवाना था औरंगजेब, इस चमत्कार के सामने हो गया था नतमस्तक

टोंक जिले के निवाई कस्बे के रक्तांचल पर्वत की तलहटी में स्थित अत्यधिक प्राचीन कंकाली माता मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस ऐतिहासिक मंदिर के चमत्कार को देखकर मुगल बादशाह औरंगजेब भी नतमस्तक हो गया था. उसने इसके बाद शिलालेख लगाया था जो आज भी गर्भ गृह के शीर्श पर अपनी कहानी बयां कर रहा है. इस मंदिर में स्थित कंकाली माता की प्रतिमा के चमत्कारों के इतने किस्से प्रचलित हैं कि भक्त उन्हें सुनाते-सुनाते भी नहीं थकते हैं, लेकिन इन सब के बीच यहां आंगन में जड़े चांदी के कलदार और गर्भ गृह के बाहर लगा वह शिलालेख हैं जो आज भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ है.मंदिर से जुड़े लोगों की मानें तो इस मंदिर में कभी सूर्यास्त नहीं देखने वाले ब्रिटिश एंपायर की महारानी विक्टोरिया के चित्र वाले सिक्के भक्तों के चरणों के नीचे रहते हैं, जबकि कट्टर हिंदू विरोधी मुगल बादशाह औरंगजेब के द्वारा लगाए गए शिलालेख को गर्भ गृह के मस्तक पर सुशोभित किया गया है.औरंगजेब के शिलालेख को गर्भ गृह पर लगाए जाने के कहानी को मानें तो बताया जाता है कि जब उसकी सेना ने इस मंदिर को ध्वस्त करने और प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो यहां पहाड़ में लगी मधुमक्खियों के छत्तों ने उसकी सेना पर बुरी तरह से हमला कर दिया था.कहा जाता है कि मधुमक्खियों ने उसकी सेना का 5 किलोमीटर तक पीछा किया और फिर वापिस अपने छत्तों में लौट आईं. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर मुगल सेना से चैन की सांस ली थी और इसी पर आज भी इस गांव को चैनपुरा के नाम से पुकारा जाता है.बताया जाता है कि जब औरंगजेब को इस चमत्कार का पता चला तो वह खुद अपने खास कारिंदों के साथ दिल्ली से यहां आया और एक शिलालेख लगवाया. प्राचीन हिंदी लिपि में लगे इस शिलालेख को पढ़ने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि उनसे इस शिलालेख में यह अंकित कराया है कि जो भी इस मंदिर और मुर्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा व सीधा खुदा या ईश्वर का गुनहगार तो होगा ही साथ ही काफिर भी होगा.पूरे निवाई कस्बे व आसपास के क्षेत्रों में अपने साक्षात चमत्कारों के लिए पहचाने जाने वाली कंकाली माता के इस मंदिर में नवरात्रों के दौरान श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ अपना शीश तो नवाते ही हैं साथ ही मन की मुराद पूरी होने पर कई तरह के अनुष्ठान कर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

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