सवालों के घेरे में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग , अध्यक्ष बाबू की ढील, जिंदगी रही छीन
लखनऊ (संदीप दुबे) उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा वर्ष 2016 व वर्ष 2018 में जूनियर इंजीनियर की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। 6 साल बीतने के बाद भी आयोग द्वारा परीक्षा आयोजित नहीं कराई गई है। छात्र मानसिक तनाव में आये दिन आत्महत्या कर रहे है। छात्रों द्वारा विगत 2 वर्षों से आयोग पर कई बार धरना दिया गया एवं आयोग के अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा गया इसके बावजूद भी आयोग द्वारा भर्ती प्रक्रिया आए नहीं बढ़ाई जा रही है। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के द्वारा दोहरी नीति अपनाई जा रही है आयोग ने इसके बाद निकाले गए विज्ञापन की परीक्षा आयोजित कर लिया है आयोग के द्वारा अन्याय किया जा रहा है। जूनियर इंजीनियर के 2016 में 489 पदों पर विज्ञापन निकाला गया तथा 2018 में 1477 पदों पर विज्ञापन निकाला गया परंतु आयोग ने दोनों में से एक भी परीक्षा को अभी तक नहीं कराया है उत्तर प्रदेश में पिछले 6 सालों से जूनियर इंजीनियर सिविल के एक भी पद नहीं भरा गया। जूनियर इंजीनियर के काफी पद खाली हैं जिससे विभागों में विकास काम बाधित हो रहा है।
भगा देते हैं आयोग के अध्यक्ष
आयोग के अध्यक्ष प्रवीर कुमार से जब प्रार्थी गण मिलने जाते हैं तो प्रार्थी गणों को भगा दिया जाता है अब जूनियर इंजीनियर वाले ब’चों ने हाई कोर्ट का सहारा लिया है जहां पर उन्होंने एडवोकेट श्री एम पी राजू के माध्यम से हाईकोर्ट में केस किया है जिसकी पहली सुनवाई 28 जून को थी जिसमें कोर्ट ने आयोग को 7 दिन का समय दिया है और इस मैटर पर लिखित जवाब मांगा है। यहां यह भी बताना चाहते हैं की डिप्लोमा के अभ्यार्थी केवल जूनियर इंजीनियर पदों के लिए योग्य होते हैं क्योंकि डिप्लोमा कक्षा 10 के बाद किया जाता है और इसे स्नातक में नहीं लिया जाता है इसलिए यह अभ्यार्थी और कहीं आवेदन नहीं कर सकते हैं अभ्यर्थियों का कहना है की वह सभी मंत्रियों से मिले हैं और मंत्रियों ने केवल आश्वासन दिया था पर कोई काम हो नहीं पाया अब यह अभ्यार्थी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से मिलने के लिए प्रयास कर रहे हैं।