वो खतरनाक जेल जहां बंद है पाकिस्‍तान का खूंखार आतंकी, खर्च होते हैं 98 करोड़ रुपए

ग्‍वांतानामो जेल में अमेरिकी सेनाओं की तरफ से पकड़े गए मुसलमान आतंकियों को रखा गया था. इन आतंकियों पर अमेरिका के खिलाफ आतंकी साजिश रचने के आरोप थे. यह जेल हमेशा विवादों में रही है और इसकी वजह से अक्‍सर अमेरिकी सेना भी आलोचना के घेरे में रही. इस जेल को अमेरिका ने 9 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमलों के बाद शुरू किया था.

जनवरी 2002 में तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति जॉर्ज बुश के आदेश पर इसे शुरू किया गया. इसके लिए क्यूबा की उस जमीन का प्रयोग हुआ, जो अमेरिका ने 1930 में लीज पर ली थी. जल्‍द ही यह जेल नफरत और दहशत का प्रतीक बन गई. यहां से नारंगी रंग के कपड़े पहने और बेड़ियों में जकड़े कैदियों की फोटो आने लगी.

पाकिस्‍तान से पकड़ा गया पहला आतंकी
फिलीस्‍तीन का रहने वाला अबु जुदाया इस जेल का सबसे पहला कैदी था. उसे पाकिस्‍तान के फैसलाबाद से गिरफ्तार किया गया था. इस जेल में अमेरिकी सैनिक और इंटेलीजेंस एजेंसी सीआईए के अधिकारी कैदियों से पूछताछ करते हैं. यहां पर जिस तरह से कैदियों को टॉर्चर किया जाता है उसे सोचकर आपकी रूह कांप जाएगी. कैदियों के कान पर जाकर चिल्‍लाना, उन पर खतरनाक कुत्‍ते छोड़ देना, इतनी तेज आवाज में म्‍यूजिक बजाना कि कान का पर्दा फट जाएगा, सोने न देना, वॉटरबोर्डिंग यानी मुंह पर ठंडा पानी डालना, कैदियों को ठंड में नंगा रखना, 20 घंटे तक पूछताछ करना, इलेक्ट्रिक शॉक देना और ऐसी टेक्निक शामिल रहीं हैं.

सबसे खतरनाक आतंकी भी यही
ग्वांतानामो बे की जेल में कई खतरनाक आतंकी बंद हैं . इनमें पाकिस्तान का खालिद शेख मुहम्मद भी है, जिस पर 9/11 की साजिश रचने का आरोप है. उसके चार साथी भी इसी जेल में हैं. इसके अलावा सऊदी अरब का अब्द अल रहीम अल नासिरी भी शामिल है. इसके अलावा यमन, अफगानिस्‍तान, सऊदी अरब और कुछ इजिप्‍ट के भी आतंकी हैं. कुछ कैदी रूस के भी हैं. अमेरिका चाहता है कि कोई तीसरा देश अगर इन कैदियों को लेना चाहे, तो उन्हें रिहा किया जा सकता है.

हर कैदी पर खर्च 13 मिलियन डॉलर
साल 2019 में आई न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक इस जेल में बंद हर कैदी पर अमेरिका 13 मिलियन डॉलर खर्च करता है. ये रकम उन आतंकियों पर भी खर्च हो रहा है जिन पर 9/11 हमलों की साजिश रची थी. इस रकम को अगर भारतीय रुपयों में बदला जाए तो यह करीब 98 करोड़ रुपए के करीब है. इस रकम में उन सैनिकों पर आने वाला खर्च शामिल है जो इनकी सुरक्षा पर तैनात रहते हैं.

अमेरिका का कहना है कि जिन कैदियों को यहां से रिहा किया गया है, उन पर खास नजर रखी जाती है. कुछ आंकड़ों के मुताबिक 30 फीसदी रिहा कैदी दोबारा आतंकवाद के क्षेत्र में चले जाते हैं. लेकिन एक अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि इस संख्या में संदिग्ध भी शामिल हैं.

कुछ कैदी हुए रिहा
कैदियों को पहले पिंजरेनुमा बाड़ों में रखा जाता था, जिसे बाद में बंद कर दिया गया. राष्ट्रपति बनने के बाद बराक ओबामा ने कई बार इस जेल को बंद करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. हाल ही में इस जेल की एक यूनिट को बंद कर दिया गया है. इस जगह पर कुल 779 कैदियों को रखा गया था, जिनमें से 40 अभी भी वहीं हैं. लगभग 78 कैदियों को बिना किसी चार्ज के रिहा कर दिया गया क्योंकि वे अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं थे. इनमें 58 यमन के, पांच ट्यूनीशिया के, चार अफगान और चार सीरियाई थे.

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